What is Panchayti Raaj , What is Self Governance ? Its History , structure and importance , Fact Vatika

पंचायती राज क्या है ? , स्थानीय स्वशासन क्या है ? संरचना, इतिहास और महत्व ।


पंचायती राज भारत में स्थानीय स्वशासन का एक अति प्रचलित रूप है। यह ग्रामीण क्षेत्रों में प्रशासन और विकास को सुचारू रूप से चलाने के लिए एक प्रणाली है। 

24 अप्रैल 1993 भारत में पंचायती राज को संविधान (73वाँ संशोधन) अधिनियम, 1992 के माध्यम से पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक मान्यता प्राप्त हुआ था इसलिए हम प्रत्येक वर्ष 24 अप्रैल को पंचायती राज दिवस के रूप में मनाते हैं।


पंचायती राज का इतिहास ( History of Panchayati Raj ) :


भारत में पंचायती राज की परंपरा प्राचीन काल से ही रही है। वैदिक काल में, ग्राम सभाएँ और पंचायतें ग्रामीण समुदायों के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लेने वाले निकाय थे। इन निकायों का उद्देश्य ग्रामीण समुदायों में शांति और न्याय सुनिश्चित करना था। पंचायतें मुख्य रूप से ग्राम स्तर पर जनसमस्याओं के समाधान के लिए काम करती थीं और इनमें स्थानीय नेता और बुजुर्ग शामिल होते थे।


मध्यकाल में, इस प्रणाली का महत्व बना रहा, लेकिन ब्रिटिश शासन के दौरान, पंचायती राज की शक्ति और स्वायत्तता कम हो गई। ब्रिटिश शासन ने केंद्रीयकृत प्रशासन प्रणाली को बढ़ावा दिया, जिससे पंचायतों की स्वतंत्रता प्रभावित हुई।


फैक्ट वाटिका ( Fact Vatika )💡


• भारत में ब्रिटिश शासनकाल में लॉर्ड रिपन को भारत में स्थानीय स्वशासन का जनक माना जाता है। वर्ष 1882 में उन्होंने स्थानीय स्वशासन सम्बंधी ब्रिटिश शासन को प्रस्ताव दिया था ।


• नवंबर 1957 में बलवंत राय मेहता समिति ने त्रि-स्तरीय पंचायती राज व्यवस्था- ग्राम स्तर, मध्यवर्ती स्तर एवं ज़िला स्तर लागू करने का सुझाव दिया। 


• 2 अक्तूबर, 1959 को राजस्थान के नागौर जिले के बगधरी गांव में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा देश की पहली त्रि-स्तरीय पंचायत का उद्घाटन किया गया।


• 24 अप्रैल 1993 भारत में पंचायती राज को संविधान (73वाँ संशोधन) अधिनियम, 1992 के माध्यम से पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्राप्त हुआ ।


• वर्ष 1993 में 73वें व 74वें संविधान संशोधन के माध्यम से भारत में त्रि-स्तरीय पंचायती राज व्यवस्था को संवैधानिक दर्जा प्राप्त हुआ। त्रि-स्तरीय पंचायती राज व्यवस्था में ग्राम पंचायत (ग्राम स्तर पर), पंचायत समिति (मध्यवर्ती स्तर पर) और ज़िला परिषद (ज़िला स्तर पर) शामिल हैं।


• भारत में पंचायती राज व्यवस्था की देखरेख के लिए 27 मई 2004 को पंचायती राज मंत्रालय को एक अलग मंत्रालय बनाया गया, जिसके वर्तमान में मंत्री गिरिराज सिंह जी है ।


 आधुनिक पंचायती राज की संरचना (Structure of modern Panchayati Raj ) :


स्वतंत्रता के बाद, भारत ने पंचायती राज की परंपरा को पुनर्जीवित करने के प्रयास किए। 1992 में, 73वें संविधान संशोधन के माध्यम से, पंचायती राज को संवैधानिक मान्यता दी गई। इस संशोधन ने पंचायतों के लिए एक तीन-स्तरीय पंचायत की संरचना की स्थापना की ।


पंचायती राज प्रणाली में तीन स्तर होते हैं :


1. ग्राम पंचायत ( Village Panchayat) : यह सबसे निचला स्तर है, जो एक या अधिक गांवों के लिए जिम्मेदार होती है। ग्राम पंचायत का नेतृत्व सरपंच ( प्रधान ) करते हैं, जिन्हें स्थानीय प्रत्यक्ष चुनावों  के माध्यम से चुना जाता है। 


2. पंचायत समिति ( Panchayat Committee ) : यह ब्लॉक स्तर पर होती है और कई ग्राम पंचायतों को मिलाकर बनती है। यह स्तर ग्राम पंचायतों के ऊपर होता है और विभिन्न ग्राम पंचायतों के समन्वय के लिए जिम्मेदार होता है। इसे तालुका या ब्लॉक पंचायत भी कहा जाता है।


3. जिला परिषद ( District Committee ) : यह जिला स्तर पर होती है और पंचायत समितियों को मिलाकर बनती है। यह सबसे उच्च स्तर है और जिले के सभी पंचायत समितियों का समन्वय करती है। जिला परिषद का नेतृत्व जिला परिषद अध्यक्ष करते हैं, जिन्हें जनता अप्रत्यक्ष चुनावों के माध्यम से चुनती है।


Panchayti raaj diwash
राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस 


पंचायती राज का महत्व (Importance of Panchayati Raj ) :


पंचायती राज प्रणाली का मुख्य उद्देश्य स्थानीय स्वशासन को बढ़ावा देना है। इसके महत्व के कुछ मुख्य बिंदु हैं:


• जनता की भागीदारी (Public Participation ) : इससे स्थानीय लोगों को अपने मुद्दों को उठाने और उनका समाधान खोजने का अवसर मिलता है।


• निर्णय-निर्माण की प्रक्रिया ( decision-making process ) : पंचायतों के माध्यम से, निर्णय-निर्माण प्रक्रिया में स्थानीय लोगों की भागीदारी बढ़ती है।


• सामाजिक और आर्थिक विकास (Social and economic development ) : पंचायती राज संस्थाएं स्थानीय स्तर पर विकास परियोजनाओं को क्रियान्वित करने में मदद करती हैं।


• समानता का अवसर ( Social and economic development ) : पंचायती राज प्रणाली के तहत, प्रत्येक पंचायत में महिलाओं और अनुसूचित जातियों/जनजातियों के लिए आरक्षण होता है, जिससे उनकी भागीदारी और प्रतिनिधित्व सुनिश्चित होता है।


• वित्तीय स्वतंत्रता (Financial Freedom ) : पंचायती राज संस्थाओं के पास अपने वित्तीय संसाधनों को जुटाने और खर्च करने की स्वतंत्रता होती है, जो उन्हें अधिक स्वतंत्र बनाता है।


इस प्रकार, पंचायती राज प्रणाली भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में प्रशासन और विकास के लिए एक महत्वपूर्ण संरचना है, जो स्थानीय लोगों को उनके अधिकारों और जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक बनाती है। इसके माध्यम से ग्रामीण समुदायों को अपने विकास के लिए स्वायत्तता और सहभागिता का अवसर मिलता है।


निष्कर्ष ( Conclusion ) :


दोस्तों जैसा कि हमने देखा पंचायती राज व्यवस्था भारतीय गाँवों और नगरों में स्थानीय स्तर की शासन व्यवस्था है। इसमें ग्राम पंचायतें, ग्राम सभाएं, और जिला पंचायतें शामिल होती हैं। यह व्यवस्था स्थानीय समस्याओं का समाधान करने, विकास कार्यों को संचालित करने, और सामाजिक न्याय को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। तो हमें भी अपने स्थानीय निकायों को मजबूती प्रदान करने के लिए उससे जुड़ी गतिविधियों में भागीदारी सुनिश्चित करना चाहिए जिससे हमारे देश का लोकतांत्रिक स्वरूप सुरक्षित और विकसित हो ।

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