श्री हनुमान जयंती || मान्यताएं || विधि और उपाय ||हनुमान जी के अन्य नाम और उनका महत्व ||
नमस्कार साथियों इस हनुमान जयंती के अवसर पर आज हम लोग हनुमान जयंती के बारे में जानेंगे उनकी मान्यताओं के बारे में जानेंगे और साथ में ही इनको कितने नाम से जाना जाता है और उनका क्या मतलब होता है उन सभी चीजों को विस्तार में समझेंगे तो अगर आप लोग भी अच्छे से समझाना चाहते हैं तो इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पड़े।
ॐ श्री हनुमते नमः
सनातन मान्यताओं के अनुसार हनुमान जयंती हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। जो की चैत्र मास की पूर्णिमा के दिन प्रभु श्री हनुमान जी के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है।
इनके पिता बानर राज केसरी तथा माता अंजना थीं।जो कि ऋषि-मुनियों के आशीर्वाद व तपस्या से इस पुत्र रत्न की प्राप्ति किए।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार हनुमान जी का जन्म 85 लाख 58 हजार 112 वर्ष पहले त्रेतायुग के अंतिम चरण में हरियाणा के कपिस्थल में(कैथल) में हुआ था।
यह अवतार प्रभू श्री राम के सेवा भाव और उनके द्वारा कृत कार्यों में सहयोग कार्य के लिए था।
Hanuman Jayanti |
हनुमान जी को प्रेम, श्रद्धा और शक्तियों के रूप में 12 से ज्यादा नामों से पूजा जाता है जिनमें मुख्य नाम:-
1. हनुमान:- भगवान इंद्र के क्रोध और वज्र से इनकी हनु(ठुड्डी) टूट गई जिससे इंद्र ने इन्हे हनुमान नाम दिया।
2. अंजनीपुत्र:- माता अंजनी के सम्मान में इन्हें अंजनीपुत्र नाम दिया गया है।
3. वायुपुत्र:- हनुमान जी वायु देव के पुत्र के रुप में बल व सही दिशा में प्रतीक माने जाते हैं।
4. महाबली:- बचपन से ही ऋषि मुनियों की आशीर्वाद, वरदान व शिव के अवतार के कारण महान बल रखने वाले हनुमान जी को महाबली कहा जाता है।
5. रामेष्ठ:- प्रभु श्री राम के अतिप्रिय होने के कारण इन्हें रमेष्ठ भी कहा जाता है।
6. फाल्गुनसखा:- महाभारत युद्ध में हनुमान जी ने महा पराक्रमी अर्जुन का साथ दिया था जिससे इनका नाम फाल्गुनसखा(अर्जुन का मित्र) पड़ा।
7. पिंगक्ष: हनुमान जी के आंखो की विशेषता बताने के लिए इन्हे पिंगाक्ष कहा जाता है।
8. अमितवीक्रम:- हनुमान जी के असीमित पराक्रम, वीरता साहस व बल के लिए इन्हे अमितवीक्रम नाम दिया गया है।
9. उदधिक्रमण:- माता सीता की खोज में लंका पहुंचने के लिए समुद्र पार करने के कारण इन्हें उदधिक्रमण(समुद्र पार कर जाने वाला) कहा जाता है।
10. सीताशोकविनाशन:- हनुमान जी को मां सीता के शोक निवारण के रूप में जाना जाता है।
11. लक्ष्मणप्राणदाता:- मेघनाथ से युद्ध के समय अमोघ बाड़ से मूर्क्षित हो जाने पर संजीवनी लाकर उनके प्राण रक्षा के लिए प्रभु राम जी ने इन्हे लक्ष्मणप्राणदाता नाम दिया।
12. वज्रकाय: वज्र के समान काया(शरीर) रखने वाले हनुमान जी को वज्रकाय भी कहा जाता है।
हनुमान जी का जन्म दो बार माना जाता है:-
- एक चैत्र मास की पूर्णिमा के दिन (जन्म के रूप में)
- दूसरा कार्तिक मास की चतुर्दशी को (देवी देवताओं से वरदान व शक्तियां प्राप्त करने के बाद नया जीवन)
जयंती के दिवस इन विधियों से करें हनुमान जी की पूजा:
• प्रातः जल्दी उठकर दोबारा राम-सीता एवं हनुमान जी को याद करें।
• स्नान ध्यान करके सच्चे मन से पुजा घर में आसनी लगा के पुजा मुद्रा में व्यवस्थित हो जाएं।
• अब हाथ में गंगाजल लेकर व्रत का संकल्प करें।
• इसके बाद, पूर्व की ओर भगवान हनुमानजी की प्रतिमा को स्थापित करें।
• अब भावपूर्ण बजरंगबली की प्रार्थना करें व विधि विधान से हनुमान जी की पूजा अर्चना करें।
Conclusion (निष्कर्ष):-
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