परिवहन और उसके विकसित होते स्वरूप, Fact Vatika

परिवहन और उसके विकसित स्वरूप ( Transport and its evolved forms ) 

दोस्तों जब से पहिए का आविष्कार हुआ है तब से दुनिया लोगों के लिए और छोटी होती गई क्योंकि परिवहन के क्षेत्र में पहिए का आविष्कार एक ऐसा परिवर्तन लेकर आया जिसे दुनिया में यातायात का स्वरूप और विकसित होता गया और आज का युग बुलेट ट्रेन और हाइपरलूप ट्रेन का हो गया है जिससे हजारों किलोमीटर की दूरी कुछ घंटे में तय हो जाती है । आज हम इसी विकास के क्रम को विस्तार से समझने का प्रयास करेंगे और यह जानेंगे की यातायात का बदलता स्वरूप हमारे जीवन मैं दैनिक दिनचर्या को कैसे और किस रूप में प्रभावित किया है।

Parivahan ka vikash
परिवहन और इसका विकास 


परिवहन का प्राचीन स्वरूप ( ancient form of transport ) 

दोस्तों यातायात का इतिहास मानव सभ्यता के विकास के साथ गहराई से जुड़ा हुआ है। हजारों साल पहले जब पहिए का आविष्कार नहीं हुआ था तो लोग एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए घोड़े, हाथी, खच्चर, ऊंट, बैलों जैसे जानवरों का इस्तेमाल करते थे । ये पशु बड़े भार को खींचने या लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए उपयोगी थे। इसका उपयोग न केवल दैनिक जीवन में बल्कि व्यापार और यात्रा के लिए भी किया जाता था। लेकिन जब पहिए का आविष्कार हुआ तब मानव ने जाना कि एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना‌ ज्यादा आसान और कम समय में संभव हो सकता है। 

• हालांकि कुछ प्राचीन सभ्यताओं ने यातायात के लिए नावों का भी उपयोग किया। मिस्र के लोग नील नदी पर नावों का इस्तेमाल करते थे, जबकि भारत में भी गंगा और अन्य नदियों पर नौकाओं का उपयोग किया जाता था। इसके अलावा, युद्ध और व्यापार के लिए रथों और बैलगाड़ियों का भी व्यापक रूप से उपयोग होने लगा ।


परिवहन के साधनों का आधुनिक विकास ( Modern development of modes of transport ) 

परिवहन के साधनों के विकास के घटनाक्रम को विस्तार से समझने के लिए नीचे वाटिका फैक्ट को पढ़ें ।

वाटिका फैक्ट 💡 

• साइकिल की खोज ( discovery of cycle )

 बैरन कार्ल वॉन ड्रैस ने जर्मनी में सन् 1817 में दो पहिया मशीन की खोज की जिसका नाम 'स्विफ्टवाकर' रखा । 

• मोटर वाहन का आविष्कार ( discovery of motorcycle )

 सन 1885 में जर्मनी के दो वैज्ञानिक Gottlieb Daimler (गॉटलिब डेमलर) और Wilhelm Maybach (विल्हेम मेबैक) ने दुनिया की पहली बाइक बनाई। जिसे उन्होंने अपने नाम से 1885 में पेंटेंट करवाया । हालांकि दुनिया की इस पहली मोटरसाइकिल 1894 में दो स्टीम इंजीनियर हेनरिक और विल्हेम द्वारा बनाया गया जिसका नाम का नाम उन्होंने Hildebrand Wolfmüller रखा ।

• ऑटोमोबाइल की खोज ( discovery of automobile )

 सन‌् 1886 में कार्ल बेंज द्वारा 'मोटरवैगन' नाम से एक तीन पहिया कार पेटेंट कराया गया जो गैसोलीन से चला था । इस पेंटेंट को ऑटोमोबाइल का जन्म प्रमाण पत्र भी‌ कहा जाता है ।

• रेलवे की खोज ‌ ( discovery of railway )

सन 1814 ईस्वी में जॉर्ज स्टीफन ने वाष्प संचालित रेलगाड़ी के इंजन की खोज की। इसलिए इनको 'फादर ऑफ रेलवे' कहा जाता है। 

• भारत में रेलगाड़ी की शुरुआत ( beginning of railway in India )

भारत में लॉर्ड डलहौजी के प्रयासों से पहली ट्रेन 16 अप्रैल, 1853 में शुरू हुई । देश में पहली ट्रेन बंबई ( मुम्बई) के बोरीबंदर से लेकर ठाणे के बीच चली थी। ये ट्रेन दोपहर 3 बजकर 35 मिनट पर मुंबई से निकली और 4 बजकर 45 मिनट पर ठाणे पहुंची । लॉर्ड डलहौजी को भारत में रेलवे कौ लेकर उनके प्रयासों के वजह से 'फादर ऑफ इंडियन रेलवे' भी कहा जाता है ।

• हवाई जहाज की खोज ( discovery of aeroplane )

 ऑरविल और विल्बर राइट ने वर्ष 1903 में हवाई जहाज का आविष्कार किया था। इसके बाद वायु मार्ग द्वारा परिवहन संभव हो गया । राइट बंधुओं को दुनिया के पहले सफल हवाई जहाज का आविष्कार, निर्माण और उड़ान भरने का श्रेय दिया जाता है ।

• रॉकेट की खोज ( discovery of rocket )

विश्व में सर्वप्रथम रॉकेट बनाने का श्रेय अमेरिकी वैज्ञानिक 'राॅबर्ट हचिंग्स गोडार्ड' को जाता है, रॉबर्ट गोडार्ड ने 16 मार्च 1926 विश्व का पहला लिक्विड फ्यूल से चलने वाला रॉकेट बनाया था ।

परिवहन के क्षेत्र में भविष्य की संभावनाएँ ( Future prospects in the field of transportation )

आधुनिक तकनीक के विकास के साथ, यातायात के भविष्य में और भी अधिक बदलाव की संभावना है। स्वचालित वाहन और ड्रोन जैसे नए आविष्कार यातायात को और भी अधिक सुरक्षित और कुशल बना सकते हैं। विश्व भर में एयर टैक्सी के नेटवर्क को और विकसित किया जा रहा है ताकि धरातल पर ट्रैफिक को कंट्रोल किया जा सके । ड्रोन के स्वरूप का भी तेजी से विकास किया जा रहा है ताकि वायु परिवहन( air transportation ) को और गतिशील बनाए जा सके । बुलेट ट्रेन जैसी तेज गति की रेलगाड़ियाँ लंबी दूरी की यात्रा के समय को कम कर रहीं हैं जिससे कि व्यापारिक परिवहन को और सुलभ बनाया जा सके । 

• हाइपरलूप ट्रेन चुंबकीय शक्ति पर आधारित तकनीक है। जिसके अंतर्गत खंभों के ऊपर (एलीवेटेड) पारदर्शी ट्यूब बिछाई जाती है। इसके भीतर बुलेट रूप की लंबी सिंगल बोगी हवा में तैरते हुए चलती है। यह घर्षण हीन परिवहन का साधन होगा जिसकी गति 1200 किलोमीटर प्रति घंटा से भी अधिक हो सकती है ।

• इस प्रकार यातायात ( परिवहन ) का भविष्य न केवल अधिक तेज और कुशल होगा, बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी अधिक अनुकूल होगा। नई तकनीकों और परिवहन प्रणालियों के विकास से, हम उम्मीद कर सकते हैं कि यातायात का स्वरूप निरंतर बदलता रहेगा, जिससे हमें अधिक तेज और सुरक्षित भविष्य मिलेगा। अंतरिक्ष के क्षेत्र में भी परिवहन का विकसित रूप देखा जा रहा है जिसमें रॉकेट को पुनः उपयोग ( Reusable ) करने की दिशा में अनुसंधान किया जा रहा है ताकि स्पेस ट्रांसपोर्टेशन को और सस्ता और सुलभ बनाया जा सके।

परिवहन के बदलते स्वरूप का प्रभाव ( Impact of changing transport patterns )

परिवहन के इस बदलते स्वरूप की वजह से दुनिया में तेजी से मोबिलिटी बढ़ी है । जिसका सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक प्रभाव आसानी से देखा जा सकता है। 

परिवहन के बदलते स्वरूप का प्रभाव विशाल है। यह न केवल यातायात के तरीके में बदलाव ला रहा है, बल्कि समाज, अर्थव्यवस्था, और पर्यावरण पर भी सीधा प्रभाव डाल रहा है। तेजी से विकसित हो रहे इस परिवहन के स्वरूप के वजह से शहरीकरण ( urbanization ) को बल मिल रहा है, आर्थिक गतिविधियों में तेजी आई है । जिससे समाज आर्थिक रूप से सशक्त हो रहा है ।

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निष्कर्ष ( Conclusion ) 

दोस्तों इस प्रकार देखा जा सकता है कि पहिए के आविष्कार के बाद परिवहन के बदलते स्वरूप के साथ दुनिया भी उसी रफ्तार से बदल रही है यानी जब परिवहन के साधनों में विकास देखने को मिलता है तो इसका सीधा प्रभाव समाज के विभिन्न पहलुओं पर देखने को मिलता है। परंतु हमें यह याद रखना चाहिए हमारा यह विकास सतत हो यानी विकास पशु, पक्षियों, पर्यावरण को बिना किसी हानि पहुंचाए हो और इस विकास से कार्बन फुटप्रिंट में बढ़ोतरी कम से कम हो जिससे जलवायु परिवर्तन का खतरा न्यूनतम रखा जा सके । 

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