Hottest Year 2024 - 2024 में ज्यादा गर्मी क्यों पड़ रही है? Extreme Heatwave in India इस तरह के गर्मी से कैसे बचा जाए?

Hottest Year 2024 - इतनी ज्यादा गर्मी क्यों पड़ रही है? क्या है अल नीनो (El-Nino)? इस बढ़ती गर्मी से कैसे बचाव करें?



भारत में हर साल गर्मी के मौसम यानी कि अप्रैल से जून में हमेशा के मुकाबले सबसे ज्यादा गर्मी पड़ती जा रही है। जैसा कि 2022 में हॉटेस्ट समर एवर बताया गया था। जो कि 122 साल का रिकॉर्ड तोड़ गया था लेकिन उसके बाद से हर साल अपना एक रिकॉर्ड तोड़ता जा रहा है। सबसे ज्यादा असर हमें दक्षिणी हिस्से मध्य भारत पूर्वी भारत और उत्तर पश्चिमी मैदानी इलाकों पर दिखा है। इतनी गर्मी का मुख्य कारण वैसे तो ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन, ग्लेसियर पिघलने, जैव विविधता पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव, कम वर्षा और जरुरत से ज्यादा ओजोन परत को होने वाली नुकसान है। लेकिन इसके साथ ही कुछ अन्य परिस्थितियों भी जिम्मेदार हैं दिन में सबसे प्रमुख कारण अल नीनो और ला नीना (El-Nino and La-Nina) का होना है।

क्या है अल नीनो और ला नीना (El-Nino and La-Nina)?

धरती के क्लाइमेट की एक नेचुरल साइकिल है जो हर 5-7 साल में देखने को मिलती है लेकिन क्लाइमेट चेंज की वजह से यह और एक्सट्रीम होती जा रही है| प्रशांत महासागर पृथ्वी के लगभग 1 तिहाई हिस्से को कवर करता है लिहाजा इसके तापमान में बदलाव और उसके बाद बाद हवा के पैटर्न में बदलाव दुनिया भर में मौसम को बाधित करता है| सामान्य परिस्थितियों के दौरान, व्यापारिक हवाएँ भूमध्य रेखा के साथ पश्चिम की ओर चलती हैं, जो दक्षिण अमेरिका से गर्म पानी को एशिया, ऑस्ट्रेलिया की ओर ले जाती हैं। उस गर्म पानी की जगह लेने के लिए, ठंडा पानी गहराई से ऊपर उठता है - एक प्रक्रिया जिसे अपवेलिंग कहा जाता है। एक उल्टा फिनोमिना होता है अगर वो एक्सट्रीम में चली जाए तो ला नीना का इफेक्ट देखने को मिलता है।इसका मतलब क्या हुआ जो ट्रेड विंड्स चल रही हैं वेस्ट की डायरेक्शन में वो और स्ट्रांग उस डायरेक्शन में चलने लगती हैं इसकी वजह से और ठंडा पानी साउथ अमेरिका के पास आता है और गर्म पानी ऑस्ट्रेलिया के पास आता है, ये इवेंट्स यूजुअली ज्यादा लंबे चलते हैं। 2018-19 के एल नीयो के बाद जब ला निनिया आया जो 2020-21 इतना एक्सट्रीम चला गया कि ऑस्ट्रेलिया में उसकी वजह से फ्लुंग देखने को मिली। वैसे अल नीनो का मतलब है द बॉय और ला नीना का मतलब है द गर्ल जो कि स्पेनिश वर्ड हैं।

अल नीनो और ला नीना (El-Nino and La-Nina) दो विरोधी जलवायु पैटर्न हैं जो इन सामान्य स्थितियों को प्रभावित करते हैं। ISO World Health Organization के अनुसार यह दूसरी सबसे बड़ी चीज है जिसकी वजह से धरती का क्लाइमेट बदलता है। इन स्थितियों की वजह से ही समुद्र की सतह के तापमान में लगातार परिवर्तन हो रही है और यह तापमान समुद्र के ऊपर वायु प्रवाह को प्रभावित कर रही है।



अल नीनो और ला नीना (El-Nino and La-Nina) कैसे अपना प्रभाव डालता है.?

भूमध्य रेखीय प्रशांत क्षेत्र और (Pacific Ocean) में पानी का गर्म लहरों के साथ अमेरिका से लेकर एशिया और ऑस्ट्रेलिया की तरफ का फ्लो कोरिओलिस इफेक्ट की वजह से ये ट्रेड विंड्स उल्टी डायरेक्शन में फ्लो कर रही हैं। जब सरफेस का पानी उस तरफ फ्लो करने लगेगा तो ईस्ट की दिशा में समुद्र के नीचे का पानी ऊपर की तरफ आने लगता है यानी साउथ अमेरिका के आस पास समुद्र के नीचे से पानी ऊपर आने लगता है इस चीज को कहा जाता है अपवेलिंग ये जो पानी समुद्र के नीचे से ऊपर आ रहा है यह ज्यादा थंडा होता है। और ऊपर का पानी जो दूसरी दिशा में प्रयोग करता है वह ज्यादा गर्म होता जाता है। उस इवेपरेशन की वजह से बादलों की फॉर्मेशन होती है और ज्यादा बारिश देखने को मिलती है। यह बारिश ऑस्ट्रेलिया की तरफ न होकर ओसियन के कहीं बीच में ही हो जाती है। जिससे कि ऑस्ट्रेलिया के साथ-साथ एशिया, afrika वाले महाद्वीप का रीजन में भी काफी ड्राई बन rha hai यही फिनोमिना होता है एल नीयो का जो कि एक साइकिल की तरह होता है लेकिन यह कोई रेगुलर साइकिल नहीं है कभी ये हर 4 साल बाद हो जाता है कभी 5 साल बाद तो कभी सात साल बाद होता है इस एल नियो की ड्यूरेशन के दौरान दुनिया भर के वेदर पैटर्स बदल जाते हैं ऑस्ट्रेलिया और साउथ ईस्ट एशिया में इसकी वजह से ज्यादा गर्मी पड़ती है ज्यादा ड्राई कंडीशंस देखने को मिलती हैं हीट वेव्स का रिस्क बढ़ जाता है और ऑस्ट्रेलिया में जो वाइल्ड फायर्स हुई थी|

पर्यावरण के लिहाज से वन्य जीवों के लिए भी एक संकट है| इसके विषय में हमें जागरूकता ही एक ऐसी चीज है जो सुरक्षा को सुनिश्चित कर सकती है| सऊदी अरेबिया ओमान सूडान और अफ्रीका के कई सारे देशों से ज्यादा गर्म भारत है हीट वेव एक नेशनल इमरजेंसी है|


Fact Vatika (वाटिका फैक्ट):-

  • बढ़ती गर्मी के कारणों (ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन, ग्लेसियर पिघलने, जैव विविधता पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव, कम वर्षा और जरुरत से ज्यादा ओजोन परत को होने वाली नुकसान) के साथ साथ (El-Nino and La-Nina) बहुत बड़ा कारण है।
  • एल नीनो और ला नीना दोनों का मौसम, जंगल की आग , पारिस्थितिकी तंत्र और अर्थव्यवस्था पर वैश्विक प्रभाव हो सकता है। 
  • एल नीनो और ला नीना के एपिसोड आमतौर पर 9-12 महीने तक चलते हैं, लेकिन कभी-कभी सालों तक चल सकते हैं। लेकिन वे नियमित समय पर नहीं होती हैं, औसतन हर 2-7 साल में होती हैं।
  • अल नीनो हमारे मौसम को काफी हद तक प्रभावित करता है । गर्म पानी के कारण उत्तरी अमेरिका और कनाडा के क्षेत्र सामान्य से अधिक सूखे और गर्म हैं। लेकिन अमेरिका के खाड़ी तट और दक्षिण-पूर्व में, ये अवधि सामान्य से अधिक गीली होती है और बाढ़ में वृद्धि होती है।
  • गर्मी के वजह से प्रोडक्टिविटी 5 से 10 प्रतिशत पर कम होती है, डिहाइड्रेशन होता है जल्दी थकान महसूस होती है तो अगर गर्मी की वजह से भारत काम ही नहीं कर पाते हैं।
  • आंकड़े कहते हैं कि 2030 तक इस प्रोडक्टिविटी लॉस का जीडीपी पर इंपैक्ट 2.5 से 4.5 तक होगा। 
  • क्लाइमेट चेंज एक रियलिटी है फैक्ट यही है कि भारत दुनिया का थर्ड मोस्ट वल्नरेबल देश है यानी क्लाइमेट चेंज का इंपैक्ट जिन देशों पर सबसे ज्यादा होगा उस लिस्ट में तीसरा नंबर भारत का है।
  • AC Electricity भारत में ज्यादातर इलेक्ट्रिसिटी थर्मल पावर प्लांट से यानी कोल से आती है जो जलाकर हम हवा में कार्बन रिलीज भी करते हैं और पोल्यूशन भी बढ़ाते हैं।


Conclusion (निष्कर्ष):-

दोस्तों आज के इस नए आर्टिकल में हमने समझा हर साल गर्मी अपनी चरम सीमा पार क्यों करती जा रही है। क्या है कोरिओलिस इफेक्ट, कैसे अल्नीनो हम पर दुष्प्रभाव डाल रहा है। कमेंट में हमें जरूर बताएं कि यह टॉपिक आपको कैसा लगा, इसमें क्या और explain किया जा सकता है।
साथ अपने संबंधियों को यह जरूर साझा करें जिससे की सभी बढ़ती गर्मी और तपन का साइंटिफिक कारण जान सके।
इस गर्मी से बचना इतना आसान तो नहीं है फिर भी आप अपनी जीवन शैली में कुछ अमुल-चूल परिवर्तन करने इसको आसान बनाने की कोशिश कर सकते हैं।



इन्हे भी पढ़ें :

पृथ्वी इतनी गर्म क्यों हो रही है?

जैव विविधता पर पड़ने वाला दुष्प्रभाव हमें कैसे प्रभावित कर रहा है?

Health Improvement के क्या तरीके हैं.?

ग्रीष्मकाल में बेहतर स्वास्थ्य और सुरक्षा कैसे बनाए रखें?

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ