DeepFake क्या होता है? DeepFake से कैसे बचें? AI टूल का सही इस्तेमाल करना सीखें। Fact Vatika

DeepFake क्या होता है? DeepFake से कैसे बचें? AI टूल का सही इस्तेमाल।

नमस्कार दोस्तों फैक्ट वाटिका के इस नए आर्टिकल में आज हम जानेंगे DeepFake क्या होता है? DeepFake के क्या नुकसान हैं? क्या लाभ हो सकते हैं? DeepFake से हम किस किस तरह से प्रभावित हो सकते हैं? इन सबका निष्कर्ष भी जानें।

DeepFake क्या होता है.?

21वीं सदी के इस सबसे पॉवरफुल और पॉपुलर टेक्नोलॉजी में Artificial Intelligence (AI) का हमारे लिए खास उपयोग और नुकसान दोनों ही एक साथ है। AI टूल्स के मदद से मनोरंजन, समाज सुधार, शिक्षा, संगठनात्मक उपयोग, साहित्य और कला के साथ साथ विज्ञापन जैसे इस्तमाल में लाए जाने के कारण पॉपुलर हुआ।Machine Learning और AI Algorithm पर आधारित यह DeepFake आधुनिक टेक्नोलॉजी का एक दुरुपयोग है, जिसमें AI टूल्स की Algorithm के मदद से तस्वीरों, वीडियो और ऑडियो में बदलाव करके उनके असली फॉर्मेट को रिप्लेस कर दिया जाता है। और नकली या फर्जी (वीडियो ऑडियो या फोटोज़) content तैयार किया जाता है।
Deep fake kya hota hai
DeepFake Detils Information 


Deepfake Technology कैसे काम करती है? या DeepFake कैसे बनता है?

DeepFakes के लिए कई Websites और Apps उपलब्ध हैं, जिनके मदद से ऑनलाइन ही किसी भी तरफ के कंटेंट को मोडिफाई करके पब्लिश किया जाता है। DeepFakes बनाने में मुख्य रूप से दो नेटवर्क्स एल्गोरिदम इनकोडर(encoder) व डिकोडर (decoder) का इस्तेमाल होता है। जेनरेटिव एडवर्सरियल नेटवर्क (GAN) को प्रशिक्षित करने के लिए TensorFlow या PyTorch जैसे डीप लर्निंग फ्रेमवर्क का उपयोग करें। इस नेटवर्क में दो भाग होते हैं पहला जनरेटर, जो नकली इमेज बनाता है, और दुसरा डिस्क्रिमिनेटर, जो असली और नकली इमेज के बीच अंतर करने की कोशिश करता है: 

एक Encoder:- इनकोडर वह माध्यम होता है जिसके माध्यम से किसी डाटा को AI टूल्स में इनपुट के रूप में दिया जाता है जिसको प्रोसेस व एनालाइज करने के लिए इनपुट डाटा को दूसरे नेटवर्क decoder में भेजता है।

दूसरा Decoder:- डिकोडर वह माध्यम है जो की इनपुट डाटा को प्रोसेस करके रियल या अनरियल डिफाइन करता है। विश्लेषण में डिकोडर कंटेंट (Deepfake content) को असली या नकली के रूप में पहचानता है और इनपुट डाटा के सोर्स और क्वालिटी को मॉडिफाई करता है। 


कितने प्रकार के DeepFake प्रचलन में हैं: -

Textual DeepFake:- ऐसी लिखित सामग्री जो किसी वास्तविक व्यक्ति द्वारा लिखी गई प्रतीत होती है। जिससे यह भ्रम बनती है कि विभिन्न मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर कई व्यक्ति एक ही विश्वास साझा करते हैं। जिसमें पोस्ट का उपयोग सोशल मीडिया अभियान, या अटेंशन पाने के लिए गलत सूचना फैलाते हैं।
Voice synthesis DeepFake: किसी व्यक्ति की आवाज़ का इस्तेमाल ऐसी बातें कहने के लिए किया जा सके जो उसने पहले कभी नहीं कही हों। AI Algorithm स्पीच पैटर्न और वाइस टोन का विश्लेषण करके उस आवाज़ से मिलते-जुलते स्पीच generate कर सकते हैं,
AI रिकॉर्डिंग का उपयोग करके एक नई ऑडियो रिकॉर्डिंग बनाता है जो स्पीकर की आवाज़ जैसी लगती है।
Face-Swapping DeepFake:- फोटोशॉप एप्लीकेशन और इमेज एडिटर जैसे अन्य एप्लिकेशन की मदद से एक व्यक्ति के चेहरे को दूसरे के चेहरे से बदलने में इसका उपयोग है। यह किसी व्यक्ति द्वारा कुछ ऐसा कहने या करने का भ्रम पैदा कर सकता है जो उसने कभी नहीं किया। और उसके किसी सोशल मिडिया इमेज से मिलता जुलता तस्वीर अपलोड कर दिया जाता है।
Lip Syncing DeepFake: लिप सिंकिंग करके किसी अन्य विडियो पर अपने बनावटी कंटेंट के साथ नई विडियो जेनरेट करके इसे वायरल कर दिया जाता है।
Video DeepFake: किसी सेलिब्रिटी या किसी व्यक्ति की रिकॉर्ड वीडियो को इस AI टूल से मोडिफाई करके हुबहू अपने कंटेंट के साथ विडियो जेनरेट करने व सोशल मिडिया प्लेटफॉर्म पर अपलोड करने का यह पैटर्न जो रियल जैसा ही लगे।

DeepFake Contents को कैसे पहचाने?

गलत जानकारी, फ़ोटोग्राफ़ी या एडिटिंग के माध्यम से धोखाधड़ी, और अन्य सामाजिक और नैतिक उत्पीड़न के लिए बनाया गया इस तरीके का कंटेंट को पहचानने के लिए आजकल बहुत सारे एआई टूल (AI tools) मौजूद हैं जो AI generated contents को आसानी से पकड़ सकते हैं। इसके लिए कुछ AI टूल्स:-
• AI or Not
• Hive Moderation
• Deepware Scanner 

जैसे कई AI टूल की मदद से आप किसी इमेज या वीडियो को डीपफेक (deepfakes) पता करने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके अलावा भी ढेरों टूल ऑनलाइन उपलब्ध हैं।
इसके अलावा DeepFake का पता लगाने के लिए हम Facial Expressions, Eyebrows Movement, Eye Blinking, और Body Language को ध्यान से देख कर भी अंदाजा लगा सकते हैं। इसके अलावा हम सोशल मीडिया के एक्चुअल यूजर आईडी से किसी सत्यापित जगह से भी पता लगा सकते हैं। 

DeepFakes से Awareness :- 

अगर लगता है कि कोई वीडियो या इमेज डीपफेक है तो उसमें हुए बदलावों पर नजर डालें। ऐसी वीडियो में आपको हाथ-पैर कि मूवमेंट अलग ही दिखेगी। कुछ प्लेटफॉर्म एआई जनरेटेड कंटेंट (AI generated content) के लिए वॉटरमार्क या अस्वीकरण (watermarks or disclaimers) जोड़ते हैं कि कंटेंट एआई से जनरेट किया गया है। हमेशा ऐसे निशान को ध्यान से चेक करें।

Vatika Fact (Vatika Fact):- 💡

✓ हर तरीके के सोशल मीडिया कंटेंट को यूज करने में संवेदनशीलता बढ़ाएं। जरूरी व उपयोगी कंटेंट्स को ही एक्सेस करें।

✓ किसी भी ऐसे वीडियो या ऑडियो पर संदेह जरूर करें, जो कुछ ज्यादा ही लुभावना, आकर्षक, लालच देने वाला हो। किसी भी तरह के बिना मेहनत की लाभ से बचें।

✓ नई टेक्नोलॉजी और सॉफ्टवेयर के बारे में भी aware रहे। हमेशा ही टेक्नोलोजी के बारे में अपडेट्स रखें।

✓ इसके साथ ही सावधानी से किसी भी कंटेंट को ब्राउज़ करें। और अपनी privacy मेंटेन रखें।

✓ अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को भी DeepFakes से बचने के लिए अपने यूजर आईडी, पासवर्ड को स्ट्रांग रखें टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (Two-factor authentication) जरूर करें। किसी अनजान कनेक्शन को रखने से बचें।

✓ किसी कंटेंट को शेयर करने से पहले स्वयं सत्यापन करें। उसका सही रिलावेंस पता करें।

✓ विशेष रूप से सोशल मीडिया पर सत्यापित स्रोतों की प्राथमिकता दें। और सर्कुलेटेड नॉलेज से भी बचें।

✓ ईमेल या टेक्स्ट संदेशों में लिंक पर क्लिक करते समय सावधानी बरतें, भले ही वह किसी अपने परिचित से ही क्यू न प्राप्त हो। किसी भी इस तरह के लिंक में मालवेयर या वायरस कंटेंट हो सकते हैं।

गवर्नेमेट नियम और कानून:- 
खिलाफ IPC की धारा के तहत कार्रवाई हो सकती है। भारी जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

Conclusion 
उम्मीद है आपको ये article अच्छा लगा होगा ऐसे ही इंट्रेस्टिंग topic पर artical पढ़ने के लिए Fact Vatika को follow करें।


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