Vasuki Indicus : The world largest Snake , Fact Vatika
दोस्तों इस लेख के माध्यम से हम दुनिया के सबसे बड़े सांप 'वासुकी इंडीकस' के बारे में जानेंगे ।
हाल ही में गुजरात के कच्छ एरिया में एक लिग्नाइट (कोयले ) की खदान में एक सरीसृप वर्ग के दुनिया के सबसे बड़े सांप का जीवाश्म पाया गया है जिसका नाम 'वासुकी इंडीकस' रखा गया है। नीचे हम विस्तारपूर्वक इसके बारे में अध्ययन करेंगे।
Vasuki Indicus Snake All Information |
वासुकी इंडीकस क्या है ( What is Vasuki Indicus ? )
'Vasuki indicus' दुनिया का सबसे बड़ा सरीसृप था । जो धरती पर करीब 5 करोड़ साल पहले अस्तित्व में था । इसका आकार करीब 15 मीटर लम्बा था । 'वासुकी' नाम इसका इसके शरीर के व्यापकता को दर्शाता है जो कि हिन्दू मान्यता में नागराज के रूप में विश्व प्रसिद्ध था और भगवान शिव के गले की माला के रूप में सर्वविदित है।
वासुकी इंडीकस का वजन एवं आकार ( Size & Weight of Vasuki indicus )
शोधकर्ताओं के मुताबिक हाल ही में प्राप्त जीवाश्मों के शोध से पता चलता है कि इस प्राचीन बड़े सांप का वजन करीब एक टन के करीब रहा होगा और आकार में यह करीब 36 फीट से 50 फीट तक फैला हुआ था । जो कि अब तक के ज्ञात सबसे बड़े सांप टाइटेनाबोआ से करीब 8 फीट तक लम्बा था जिसका मूल निवास स्थान आज के कोलंबिया देश में है ।
वासुकी इंडीकस का प्राकृतिक निवास स्थान ( Natural Habitat of Vasuki Indicus )
हाल ही में मिलें 'वासुकी इंडीकस' के जीवाश्म से पता चलता है कि इसका निवास स्थान गुजरात और पाकिस्तान का बार्डर एरिया ( कच्छ का रण ) था, वैसे इसको हम पश्चिमी भारत भी कह सकते हैं। वासुकी इंडीकस का जीवाश्म भी गुजरात के कच्छ एरिया में एक लिग्नाइट ( कोयले ) की खदान से मिला है ।
Natural Habitat Of Vasuki Indicus |
वासुकी इंडीकस का भोजन और शिकार करने का तरीका ( Food and Hunting Methods of Vasuki Indicus )
वैसे तो वासुकी इंडीकस का विशिष्ट आहार अभी शोध का विषय है लेकिन आसपास के क्षेत्र से प्राप्त जीवाश्मों से पता चलता है कि सांप, कैटफिश, व्हेल, कछुए, मगरमच्छ उस समय वासुकी के साथ सह-अस्तित्व में थें, शायद यही उसके भोजन का स्त्रोत भी रहें हो।
चूंकि वासुकी आकार में काफी बड़ा सरीसृप था इसलिए यह धीमी गति से घात लगाकर हमला करने वाला शिकारी जैसा रहा होगा । जो शिकार को अपने बल से अचेत कर उसको निगल जाता था ।
वाटिका फैक्ट ( Vatika Fact ) :
● दुनिया के अब तक ज्ञात जीवाश्मों के आधार पर सबसे लम्बा सांप वासुकी इंडीकस है जिसकी अनुमानित लम्बाई 15 तक थी।
● वासुकी इंडीकस 47 मिलियन ( 4.7 करोड़ ) वर्ष पहले पश्चिमी भारत के दलदली सदाबहार जंगलों में रहता था।
● वासुकी इंडीकस का अस्तित्व ऐसे समय में था जब उस क्षेत्र का तापमान अपेक्षाकृत गर्म था जो कि लगभग 28 डिग्री सेल्सियस था ।
● दुनिया के जीवित सांपों में सबसे लम्बा सांप एशियाई रेटिकुलेटेड अजगर है जिसकी लम्बाई 33 फीट यानी लगभग 10 मीटर तक है ।
● सांप कोल्ड ब्लडेड ( ठंडे खून ) वाले प्राणी होते हैं यानी इनका रहवास अधिकतर गर्म जगहों पर होता हैं ।
● सांप के बड़े आकार में विकसित होने के लिए उच्च तापमान अति आवश्यक होता हैं ।
वासुकी इंडीकस का वैज्ञानिक सिद्धांत ( Scientific Theory of Vasuki Indicus )
आईआईटी रुड़की के पृथ्वी विज्ञान विभाग के प्रोफेसर सुनिल वाजपेयी ने देबजीत दत्ता के साथ मिलकर पनांद्रो लिग्नाइट (कोयला ) खदान में पाए गए जीवाश्म के संबंध में आश्चर्यजनक खुलासा किया।
Vasuki Indicus Fossils |
शोधकर्ताओं को यह जीवाश्म 2005 में मिला था लेकिन उस समय जीवाश्म के आकार की विशालकाय स्वरूप के कारण उन्हें यह मगरमच्छ का जीवाश्म प्रतीत हुआ । परन्तु शोध कार्यों के पश्चात जब इसके सांप के होने की पुष्टि हुई तो यह शोधकर्ताओं को आश्चर्यचकित कर दिया क्योंकि यह अभी तक ज्ञात सबसे प्राचीन बड़े सांप टाइटेनाबोआ से कुछ फीट लम्बा था यानी धरती पर ज्ञात सबसे बड़े सांप का प्राचीन प्राकृतिक निवास स्थान पश्चिमी भारत था । वासुकी इंडीकस के समय में उस क्षेत्र का तापमान अपेक्षाकृत गर्म था जो कि लगभग 28 डिग्री सेल्सियस था । वासुकी इंडिकस के सबसे बड़े सांप होने का यह दावा खोजे गए 27 अच्छी तरह से संरक्षित जीवाश्म कशेरुकाओं पर आधारित है।
वासुकी ‘मदत्सोइदे फैमिली’ के सर्पों से संबंध रखता था। ये सांप धरती पर करीब 9 करोड़ साल पहले मौजूद थे, जो लगभग 12 हजार साल पहले खत्म हो गए। ये सांप भारत से लेकर दक्षिणी यूरेशिया, उत्तरी अफ्रीका तक फैले थे। जब यूरेशिया 5 करोड़ साल पहले एशिया से टकराया, तब भारतीय उपमहाद्वीप का निर्माण हुआ।
वासुकी इंडीकस का पौराणिक महत्व ( Mythological Importance of Vasuki Indicus )
भारतीय हिन्दू मान्यता के अनुसार, वासुकी भारतीय पौराणिक कथाओं में एक प्रसिद्ध नागराज हैं, जिनका उल्लेख महाभारत और पुराणों जैसे प्राचीन ग्रंथों में होता है। वासुकी को भगवान शिव के गले में लिपटे हुए दर्शाया जाता है, और समुद्र मंथन की कथा में उन्हें रस्सी के रूप में इस्तेमाल किया गया था। वासुकी के विष को शिव ने अपने गले में धारण किया, जिससे शिव का गला नीला हो गया और वे नीलकंठ कहलाए।
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निष्कर्ष ( Conclusion ) :
दोस्तों इस लेख से फैक्ट वाटिका की टीम ने भारतीय उपमहाद्वीप के पुरातात्विक भौगोलिकता का ऐतिहासिक प्रमाण का प्रस्तुतीकरण किया है। हमें ऐसे वैश्विक महत्व के पुरातात्विक स्थलों को एक म्यूजियम एवं अनुसंधानशाला के रूप में विकसित करना चाहिए जिससे कि देश-विदेश से पर्यटन हमारे देश में आकर्षित हो और आर्थिक रूप से भी देश के विकास में हमारे यह धरोहर अपनी भूमिका अदा कर सके और साथ ही साथ देश भर के शोधकर्ताओं के लिए भी एक उपयुक्त वातावरण बन सके जिससे हमारा देश शोध एवं अनुसंधान के क्षेत्र में और भी उन्नति करें।
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