नालंदा विश्वविद्यालय एक नई शुरुआत : नया ढांचा, गौरवशाली अतीत और भविष्य

नालंदा विश्वविद्यालय की धरोहर :- अतीत से भविष्य तक का ढांचा, गौरवशाली इतिहास और भविष्य के लिए मिला एक नया तोहफा- 19 Jun 2024

नालंदा विश्वविद्यालय शैक्षिक उत्कृष्टता, वास्तुकला और अपने पुस्तकालय के साथ साथ शैक्षिक और अनुसंधान केंद्र के रूप में विश्व प्रसिद्ध एवं प्राचीन धरोहर मानी जाती है। यहाँ पर विभिन्न संस्कृतियों और भाषाओं का समागम होता था। जिसकी स्थापना 427 ई. में सम्राट कुमारगुप्त के समय काल में किया गया।



नालंदा विश्वविद्यालय का प्राचीन इतिहास (Ancient History of Nalanda University) :-

लगभग 5वीं शताब्दी में स्थापित इस विश्वविद्यालय के बारे में अलेक्जेंडर कनिंघम नहीं पता लगाया जो कि बिहार की पटना से 90 km दक्षिण-पूर्व में विश्व का प्रथम पूर्णतः आवासीय विश्वविद्यालय है। जिसे प्राचीन भारत का शैक्षिक मोती कहा जाता है, शिक्षा और ज्ञान का केंद्र था, जहाँ पर विभिन्न विषयों में अध्ययन और शोध किया जाता था। बौद्ध धर्म, दर्शन, गणित, खगोल विज्ञान, चिकित्सा और कला की शिक्षा के क्षेत्र में नालंदा ने अनगिनत विद्वान पैदा किए। नालंदा में 10,000 से अधिक छात्र और 2,000 शिक्षक थे। जिसमें विभिन्न देशों (चीन, कोरिया, जापान, तिब्बत, मंगोलिया, श्रीलंका और दक्षिण पूर्व एशिया) से आए छात्र अध्ययन करते थे। जिससे यह एक अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा केंद्र बना तथा उदारता से नालंदा में की गई थी और विद्वान भिक्षुओं और शिक्षकों की कर्तव्यनिष्ठा से इसे बनाए रखा गया। 12वीं शताब्दी के अंत तक बख्तियार खिलजी के आक्रमण ने नालंदा विश्वविद्यालय को नष्ट कर दिया। इसके बाद सदियों तक यह संस्थान उपेक्षित रहा। लेकिन इसकी महत्ता और धरोहर आज भी विद्यमान है। 21वीं सदी में नालंदा की धरोहर को पुनर्जीवित करने की पहल की गई।


नालंदा विश्वविद्यालय का विनाश (Destruction of Nalanda University) :-

बख्तियार खिलजी (कुतुब-उद-दीन ऐबक) तुर्की-अफगानी सेनापति जो गोरी साम्राज्य के साथ भारत में आया। बख्तियार खिलजी का शासनकाल और आक्रमण भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक रहा है। 12वीं शताब्दी के 1193 ई. में बख्तियार खिलजी के आक्रमण ने नालंदा विश्वविद्यालय को पूरी तरह से जलाकर नष्ट कर दिया। वहां के भिक्षुओं और विद्वानों की हत्या कर दी। इसके साथ ही भारतीय महाद्वीप पर बौद्ध धर्म का अंत और भी तेज हो गया। ऐसा माना जाता है कि बौद्ध धर्म के गौरवमय इतिहास को नष्ट करने, भारतीय संस्कृति सभ्यता की धरोहर को प्रभावित करने, संसाधनों के लूट पाट के साथ अपनी सैन्य शक्ति और क्रूरता का प्रदर्शन करके वह इस्लाम को और मजबूती देने के विचार से ऐसे क्रूर कृत को अंजाम दिया। इसके बाद से ही सदियों तक के लिए यह ऐतिहासिक संस्थान खंडहर में तब्दील हो गया। इसके गौरवमयी अतीत की केवल कहानियाँ ही रह गईं।

विश्वविद्यालय पुनर्निर्माण की आवश्यकता(Need of Re-Construction) :-

नालंदा विश्वविद्यालय को पुनर्स्थापित करके, हम एक वैश्विक शैक्षिक केंद्र की स्थापना कर सकते हैं जो विभिन्न विषयों में अनुसंधान और शिक्षा को बढ़ावा दे। विश्वविद्यालय को पुनः ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के साथ विश्व प्रतिष्ठित करने के उद्देश्य से की गई है। यह केवल एक शैक्षिक संस्थान का पुनर्निर्माण नहीं है, बल्कि भारतीय धरोहर को सम्मान और पहचान देने का एक प्रयास है। पुनर्स्थापना पर्यटन को बढ़ावा देगा, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को लाभ हो सकता है। पर्यटकों के आगमन से रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे|


विश्व स्तरीय संस्कृति की धरोहर के पुनर्निर्माण की पहल(Re-Construct world-class cultural Heritage) :-

28 मार्च 2006 को नालंदा विश्वविद्यालय के पुनर्निर्माण की योजना(अंतर्राष्ट्रीय परियोजना) पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने बिहार सरकार और नीतीश कुमार के सामने अपने विचारों के माध्यम से रखा। इस परियोजना को प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह द्वारा प्रस्तुत किया गया। इसके बाद 2010 में नालंदा विश्वविद्यालय अधिनियम पारित हुआ और इसके तहत पुनर्निर्माण की प्रक्रिया आरंभ हुई। इस परियोजना में ईस्ट एशिया समिट (ईएएस) में भाग लेने वाले देशों ने अपना समर्थन दिया। चीन, जापान, थाईलैंड, सिंगापुर, और अन्य देशों ने वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान की। इसका उद्देश्य नालंदा को पुनः एक विश्व स्तरीय शिक्षा केंद्र बनाना है। निर्माण कार्य संपूर्ण होने के बाद 19 जून 2024 को भारत के तात्कालिक प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी के द्वारा उद्घाटन किया गया।


नालंदा विश्वविद्यालय पुनर्निर्माण (Nalanda University Re-establishment) :-

12वीं शताब्दी में बख्तियार खिलजी के आक्रमण ने नालंदा विश्वविद्यालय को नष्ट कर दिया। इसके बाद सदियों तक यह संस्थान उपेक्षित रहा। लेकिन 21वीं सदी में नालंदा की धरोहर को पुनर्जीवित करने की पहल की गई। भारत सरकार और बिहार राज्य सरकार ने मिलकर नालंदा विश्वविद्यालय को पुनः स्थापित करने का निर्णय लिया। 2010 में नालंदा विश्वविद्यालय अधिनियम पारित किया गया और इसके तहत पुनर्निर्माण की प्रक्रिया शुरू हुई। नालंदा विश्वविद्यालय का पुनर्निर्माण केवल भौतिक ढांचे का पुनः निर्माण नहीं है, बल्कि यह भारतीय शिक्षा और संस्कृति की धरोहर को पुनः जीवित करने का प्रयास है। यह संस्थान न केवल भारतीय छात्रों के लिए, बल्कि विश्व भर के छात्रों के लिए एक प्रमुख शिक्षा केंद्र बनेगा। नया ढांचा आधुनिकता और परंपरा का संगम होगा। इस नए ढांचे में आधुनिक वास्तुकला और प्राचीन शैली का अद्वितीय संयोजन देखने को मिल रहा है। पुनः स्थापना शिक्षा के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छूने की दिशा में एक महत्व कदम एवम पूर्ण पहल है। संपूर्ण विश्वविद्यालय का निर्माण कार्य 2024 में विधिवत तरीके से संपूर्ण हुआ। तत्काल प्रधानमंत्री ने इसका उद्घाटन किया जो की पूरे दशक का सबसे चर्चित मुद्दा भी रहा।

वाटिका फैक्ट (Fact Vatika)💡:-

  • नालंदा का इतिहास और महत्व इतना विशेष है कि UNESCO ने इसे 15 जुलाई 2015 को विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्रदान किया है।
  • कैंपस 455 एकड़ एरिया में बसा है। इसमें एकेडमिक और एडमिनिस्ट्रेटिव ब्लॉक, टीचर्स के लिए क्वार्टर्स, स्टूडेंट्स के लिए हॉस्टल्स, लैबोरेटरीज और लाइब्रेरी है।
  • नए नालंदा विश्वविद्यालय को प्राचीन नालंदा की महिमा और आधुनिक तकनीको को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है।
  • इसमें पर्यावरणीय संवेदनशीलता और स्थिरता को प्रमुखता दी गई है।
  • आधुनिक पुस्तकालय, शोध केंद्र, और अत्याधुनिक लैब्स की स्थापना की गई है।
  • यहाँ पर विभिन्न विषयों के लिए अलग-अलग शैक्षिक भवन, जिनमें बौद्ध अध्ययन, इतिहास, दर्शन, और विज्ञान शामिल हैं
  • यहाँ पर एक संग्रहालय भी है, जिसमें नालंदा की धरोहर और इतिहास को प्रदर्शित किया गया है।
  • विश्व भर में सांस्कृतिक और शैक्षिक महत्व वाला है। यहां पर अध्ययन कार्यक्रम बौद्ध धर्म, धर्मशास्त्र, विज्ञान, और सांस्कृतिक अध्ययन पर केंद्रित रहने वाला है।

निष्कर्ष (Conclusion) :-

नालंदा विश्वविद्यालय का पुनर्निर्माण हमारे प्राचीन धरोहर की पुनःप्राप्ति और भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक समृद्ध शिक्षा केंद्र के रूप में उभरने का प्रतीक है। यह न केवल शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण पहल है, बल्कि भारतीय सांस्कृतिक विरासत को संजोने का भी एक प्रयास है। भारतीय शिक्षा और संस्कृति के क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत है, जिसमें प्राचीन ज्ञान और आधुनिक तकनीक का समन्वय होगा। यह विश्वविद्यालय न केवल भारतीय छात्रों के लिए बल्कि विश्व भर के छात्रों के लिए भी एक प्रमुख आकर्षण केंद्र बनेगा। भारतीय शिक्षा प्रणाली को वैश्विक स्तर पर नई ऊंचाइयों तक ले जाने में सहायक सिद्ध होगा। न केवल शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण पहल है, बल्कि भारतीय सांस्कृतिक विरासत को संजोने का भी एक प्रयास है। नालंदा विश्वविद्यालय का नया ढांचा आधुनिकता और परंपरा का संगम है। नालंदा विश्वविद्यालय का गौरवशाली अतीत और वर्तमान पुनर्निर्माण हमारी धरोहर का हिस्सा है।




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